Lohasavam Syrup Review: uses benefits side effects in Hindi

लोहासव (Lohasavam) एक आयुर्वेदिक सिरप है अगर आप इसको इस्तेमाल करना नहीं जानते तो यह पोस्ट आपके लिए हैं।

इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि इसको कैसे इस्तेमाल किया जाता है? क्या इसके फायदे हैं? क्या इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं?

Lohasavam Ayurvedic Medicine Benefits

लोहासव अति अग्निप्रिदीपक है।

  • पांडु (anaemia),
  • शोथ (सूजन),
  • गुल्म (tumour),
  • उदर्रोग, (पेट रोग),
  • अर्श, (piles)
  • पुराना बुखार ,
  • सांस ,
  • भगंदर , अरुचि (anorexia),
  • ग्रहणी (duodenum)

और दिल कि तमाम बीमारियों का खात्मा करती है।

लोहासव (Lohasavam)

Lohasavam Ingredients

लोहासव मे

  • लौह भस्म,
  • सोंठ,
  • काली मिर्च,
  • पीपल,
  • हरड़,
  • आमला,
  • बहेड़ा,
  • अजवाइन,
  • वायविंडग,
  • नागरमोथा,
  • चित्रक मूल की छाल,
  • धाय के फूल,
  • गुड, शहद

तमाम सामग्री मिलाकर यह एक Lohasavam रामबाण नुस्खा तैयार किया जाता है।

Lohasavam में अग्नि प्रदीप्त करने के लिए त्रिकटु, अजवाइन , चित्रकमूल और नागरमोथा मिलाया जाता है।

पेट को शुद्ध करने के लिए और कृमि का नाश करने के लिए और ऐसे ही गुणों के लिए त्रिफला, और वाय विंडांग और नागर मोथा मिलाया जाता है।

लोहासव (Lohasavam)

इन सबके साथ लौह भस्म के मिल जाने से इनके गुणों में अतिवृद्धि हो जाती है।
इसकी रचना पर लक्ष्य देने पर पता चलता है कि , जिस पांडु रोग में अग्निमांद्य लक्षण प्रबल हो ,उस पर यह लोहासव पहुंचाता है।

मलेरिया आदि संक्रामक बुखार , मानसिक चिंता और पेट के कृमि आदि कारणों से पंडूता (पूरे शरीर का पीला पड़ जाना ) आ जाती है।

जब रक्त में रक्ताड़उ विधान विकृत हो जाता है, तब रक्त शुद्ध नहीं बन जाता है। रक्त जीवाणु (blood cells) कम हो जाते हैं। धमनियों की दीवारें मृदु हो जाती हैं।

लोहासव (Lohasavam)

ऑल रक्ताभिसरण (blood circulation) किर्या बलपूर्वक नहीं हो सकती। फिर कोशिकाओं में योग्य वक्त नहीं पहुंच सकता।

जिससे शरीर अति शिथिल और निस्तेज हो जाता है। साथ-साथ शरीर को योग्य पोषण ना मिलने से इंद्रियां स्वं कार्यक्षम नहीं रह सकती।

मस्तिष्क विकृति होने पर रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है और कमज़ोर और उदासीन हो जाता है।

फिर आंख आदि कि श्‍लेष्‍मल झिल्‍ली मैं खून का प्रभाव सिर दर्द, तंद्रा, हाथ पैरों पर सूजन आना हाथ पैर ठंडे हो जाना। निंद्रा वृद्धि आदि लक्षण प्रतीत होते हैं।

इन्हें भी जाने: Himalaya TENTEX Royal Benefits in Hindi  2 कैप्सूल खाने के बाद 3 घंटे खड़ा रहता है।

Lohasavam Ayurvedic Medicine Uses

ऐसे लक्षण वाले पांडुरोग पर यह आसव स्तर लाभ पहुंचाता है। यह पाचन क्रिया बढ़ाता है तथा नया खून बनाकर उस खून के द्वारा इंसान के शरीर को बहुत ही ज्यादा मजबूती प्रदान करता है।

अनेक बार उपवास जैसे कारणों की वजह से इंसानी शरीर में रक्त रंजक द्रव्य की कमी हो जाने पर शरीर बहुत ही ज्यादा निस्तेज दिखाई देता है। इस वक्त रंजक की न्यूनता को भी यह Lohasavam दूर कर देता है।

लोहासव Benefits for Girls

कभी-कभी जवान लड़कियों में एक प्रकार का हलीमक रोग हो जाता है। जिसकी वजह से उनकी त्वचा हरी पीली होने लगती है।

और इस बीमारी में खून की कमी ज्यादा हो जाती है इंसानी शरीर में खून जैसी चीज मालूम ही नहीं पड़ती। देखने में रोगी ठीक-ठाक नजर आता है।

मगर अंदर से दिल में घबराहट, मंद बुखार (खून की कमी के कारण होने वाला एक तरह का बुखार), अग्नि मांघ , कब्ज, थोड़ा सा काम करने सांस फूल जाना, श्वेत प्रदर, और मानसिक धर्म कष्ट से आना और वक्त पर ना आना तथा निर्बलता आदि लक्षण उपस्थित होते हैं।

इस प्रकार की सारी समस्याओं में लोहासव एक अमृत की तरह काम करता है।

और अगर इन तमाम बीमारियों से कोई महिला जूझ रही है तो उनके लिए खुली हवा, अग्नि बल और पौष्टिक आहार का प्रबंध कर देना चाहिए।

लोहासव

लोहासव की खुराक/Dosage

10ml से 20ml पानी के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह शाम पिया जाए।

Lohasavam Syrup Precautions

Lohasavam इस्तेमाल करने से पहले अगर आपके पेट में कोई खराबी है तो पहले आप पेट का इलाज करे उसके बाद ही से Lohasavam के इस्तेमाल से शरीर मजबूत और बलवान बन जाता है।

इस प्रकार Lohasavam का सेवन करने से खून की कमी और अग्निमांघ जैसी बीमारी आसानी से दूर हो जाती है।

पंदुरोग में उत्पन्न लक्षण रोग सूजन, पंडुरोग में इंद्रियां अपना काम करने की वजह से असमर्थ हो जाने और पचन विकृति हो जाने से उत्पन्न गुल्म, अर्श, पेट में अफरा, अपचन के बाद बार-बार होने वाला दस्त या कब्ज होना।

और पेट दर्द, प्लीहा वृद्धि, खांसी, सांस फूलना, त्वचा विकार, अरुचि, ग्रहणी, ह्रदय विकृति हो जाने पर उन तमाम बीमारियों में Lohasavam रामबाण की तरह साबित होता है।

Lohasavam खून बढ़ाने की सुपर सिद्ध औषधि साबित हुई है। पीलिया, गुल्म रोग, बवासीर, भगंदर, खून की कमी, संग्रहणी, बढ़ा हुआ जिगर और तिल्ली में विशेष लाभदायक है।

मा, खांसी, पुराना बुखार, हृदय रोग, आदि में लाभदायक और बलदायक है।

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